सुरक्षाबलों की चौकसी के कारण इस साल पिछले अन्य वर्षों के मुकाबले सीमा पार से घुसपैठ की संख्या में काफी कमी आई है। इसके बावजूद एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती राजौरी और पुंछ में घुसपैठ की गतिविधि के बढ़ने को लेकर चिंता जताई है। अधिकारियों का कहना है कि ‘इन दोनों जिलों में घुसपैठ की कोशिशों में बढ़ोतरी हुई है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इन इलाकों से भारी संख्या में घुसपैठ हो रही है। सुरक्षा बल घुसपैठ की कई कोशिशों को नाकाम कर रहे हैं, तो कई दूसरे आतंकी घुसपैठियों के गिरोहों के नहीं पकड़े जाने की आशंका भी ज्यादा है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘यह सभी मौसमों के लिए उपयुक्त मार्ग है, जिससे उन्हें भी फायदा होता है और वे आसानी से घाटी पार कर सकते हैं। लेकिन जो तथ्य अब एजेंसियों को इन इलाकों में फेरबदल करने के लिए मजबूर कर रहा है, वह हताहतों की संख्या है, जो सेना इन क्षेत्रों में पिछले दो वर्षों से झेल रही है।’ सरकारी आंकड़ो के मुताबिक 21 अक्टूबर 2022 से दोनों क्षेत्रों में तीन अधिकारियों और पांच पैराट्रूपर्स और सात नागरिकों सहित कुल 26 सुरक्षाकर्मी की जान गई है।
एजेंसियों ने सुरक्षा बलों को हमेशा अलर्ट पर रहने को कहा है। इंटेलिजेंस द्वारा दिए गए इनपुट से पता चला है कि आने वाले दिनों में घुसपैठ की संख्या बढ़ सकती है। लोगों को निशाना बनाया जा सकता है। इनके निशाने पर बाहर से आये हुए लोग भी हो सकते हैं। इसलिए हर उस क्षेत्र पर हमेशा निगरानी करने को कहा है जहां से आतंकी सीमापार करते हैं। अगर आतंकी कोई नया रूट बनाते हैं तो उसे भी तुरंत ब्लाक किया जाए। इन तमाम परेशनियों को देखते हुए सुरक्षाबलों को नई रणनीति तैयार करनी पड़ रही है।
अधिकारी ने आगे बताया कि ‘अब अधिक आक्रामक Cordon and search operations (CASO) इंटेलिजेंस आधारित ऑपरेशनों को अंजाम दिया जा रहा है, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने वास्तव में यह भी संकेत दिया कि राजौरी और पुंछ क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों द्वारा नई रणनीति अपनाई जा रही है। दिलचस्प बात यह है कि जम्मू और कश्मीर के लिए जारी हालिया मानवाधिकार रिपोर्ट में भी इस बात पर प्रकाश डाला गया था। रिपोर्ट में कहा गया है, दशकों की शांति के बाद, जम्मू के पुंछ और राजौरी जिलों के सीमावर्ती इलाके पूर्व राज्य के पाकिस्तानी कब्जे वाले क्षेत्रों से सीमा पार समर्थन के साथ आतंकवाद के ठिकाने के रूप में फिर से उभर रहे हैं।’