चीन की चालाकी जगजाहिर है और किसी से छिपी नहीं है। चीन दुनियाभर में और खासकर कि एशिया में अपना दबदबा कायम करना चाहता है और इसके लिए कई सालों से चालाकी से आगे बढ़ रहा है। एशिया में अपनी पावर को बढ़ाने के लिए काफी समय से चीन की चालाकी से भरी एक तय रणनीति रही है। चीन ज़रूरतमंद देशों को कर्ज देकर उन्हें अपने जाल में फंसा लेता है और उन्हें क़र्ज़ के बोझ तले दबा देता है। जब चीन के क़र्ज़ में डूबे देश क़र्ज़ का भगतां नहीं कर पाते, तब चीन उनकी सीमा में घुसपैठ करता है और अपना क्षेत्र बढ़ाता है। इसके अलावा भी चीन दूसरों के क्षेत्र पर कब्ज़ा जमाने की कोशिश में लगा रहता है। पर जल्द ही चीन की दादागिरी पर लगाम लग सकती है।

14 देशों ने मिलाया हाथ

ज़रूरतमंद देशों की चीन पर निर्भरता को खत्म करने और सप्लाई चेन के संकट को दूर करने के लिए 14 देशों ने हाथ मिलाया है। इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) के नाम के इस ग्रुप में 14 भागीदार देशों ने सप्लाई चेन को बिना रोकटोक जारी रखने के लिए समझौता भी किया है। इस समझौते के लिए अब तक IPEF देशों की दो मंत्रिस्तरीय बैठकें भी हो चुकी हैं। IPEF के सभी देशों ने मिलकर एक IPEF सप्लाई चेन काउंसिल, सप्लाई चेन क्राइसिस रिस्पॉन्स नेटवर्क और लेबर राइट एडवाइजरी नेटवर्क स्थापित करने पर भी सहमति जताई है।

सदस्य देश
1) भारत (India)
2) अमरीका (United States Of America)
3) ऑस्ट्रेलिया (Australia)
4) फिज़ी (Fiji)
5) ब्रूनेई (Brunei)
6) इंडोनेशिया (Indonesia)
7) जापान (Japan)
8) साउथ कोरिया (South Korea)
10) मलेशिया (Malaysia)
11) सिंगापुर (Singapore)
12) थाईलैंड (Thailand)
13) वियतनाम (Vietnam)
14) फिलीपींस (Philippines)

चीन की दादागिरी होगी कम

IPEF के गठन और सदस्य देशों के प्रयास से चीन की एशिया में दादागिरी कम होगी। हर वो सेक्टर, जहाँ इस समय चीन धौंस दिखता है, वो खत्म होगी।

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