गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के बड़े-बड़े दावे भले करते रहे लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। गाजियाबाद में आम आदमी को तो छोड़िए ,बीजेपी के विधायक को भी रिश्वत देनी पड़ी है। विधायक द्वारा रिश्वत लिए जाने की शिकायत के बाद भी अफसरों का हाल यह है कि अफसर कह रहे हैं कि जो रिश्वत ले ली गई थी,गलतफहमी थी और वापस करा दी जाएगी।

मामला बुलंदशहर की सदर सीट से बीजेपी के विधायक प्रदीप चौधरी से जुड़ा हुआ है। प्रदीप चौधरी का परिवार गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहता है, जहां उनके और उनके परिवार के तीन शस्त्र लाइसेंस बने हुए है। प्रदीप चौधरी ने बताया कि उन्हें अपनी पिस्टल, राइफल और भाई जीतपाल की पिस्टल के लाइसेंस का नवीनीकरण कराना था जिसका कुल शुल्क ₹12500 है लेकिन असलाह  बाबू ने उनसे ₹48000 मांगे। असलाह बाबू ने कहा कि जितनी रकम मांगी जा रही है, उतनी ही देनी होगी, मजबूरी में उन्हें पूरी रकम देनी पड़ी। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपना परिचय दिया तो भी असलाह बाबू ने कहा कि यहाँ  सुविधा शुल्क दिए कोई काम नहीं होगा।

विधायक प्रदीप चौधरी ने इस पूरे प्रकरण की शिकायत जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह से की तो जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी विक्रमादित्य सिंह मलिक को मामले की जांच के आदेश दिए।

मुख्य विकास अधिकारी विक्रमादित्य सिंह मलिक ने बताया कि जांच के क्रम में असलाह बाबू के बयान लिए गए हैं और चालान रिपोर्ट  भी मांगी गई है जो 12500 की है। उन्होंने बताया कि गन हाउस संचालक  के भी लिखित बयान लिए गए हैं,जिसका कहना है कि इस मामले में कुछ गलतफहमी हुई है, राशि उनके पास रखी हुई है जो विधायक को वापस लौटा दी जाएगी।  उन्होंने कहा कि अभी जांच चल रही है, जल्द ही जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।

विधायक प्रदीप चौधरी ने बताया कि भाजपा की योगी सरकार में भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।  इस मामले में निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई नहीं हुई विधानसभा में भी इस मामले को उठाएंगे।

दूसरी तरफ असलाह बाबू शैलेश गुप्ता का कहना है कि  विधायक उनके पास नहीं आए। असलाह नवीनीकरण का कार्य कई दफ्तरों में होता है। विधायक से उन्होंने कोई रिश्वत नहीं मांगी है।

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