कांग्रेस मुख्यालय में जिस तेजी के साथ सुबह के वक्त भीड़ जुटी थी और कार्यकर्ताओं का उत्साह देखते बन रहा था। ठीक उसके उलट नतीजे देखने के बाद भीड़ गायब हो गई, ढोल-नगाड़े पैक हो गए और लोग अपने घरों को रवाना हो गए।
कांग्रेस मुख्यालय का यह आलम है कि कोई भी बड़ा नेता यहां पर दिखाई नहीं दे रहा। कार्यकर्ता भी धीरे-धीरे अपने गंतव्य को वापस रवाना हो गए। मध्य प्रदेश, राजस्थान और उसके बाद छत्तीसगढ़ में बीजेपी का बढ़ता ग्राफ देखकर कांग्रेस मुख्यालय में मायूसी दिखनी शुरू हो गई।
सुबह के वक्त कार्यकर्ता जिस जोश के साथ कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे थे और हाथों में बड़े-बड़े बैनर-पोस्टर लेकर अपनी जीत को सुनिश्चित करते हुए नारेबाजी कर रहे थे, वह पूरी तरीके से अब खत्म हो गई है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को यह उम्मीद थी कि चार में से कम से कम दो जगह पर कांग्रेस अपना परचम जरूर लहराएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
बीजेपी के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए यह अंदाजा लगाना आसान है कि पार्टी जीत की तरफ तेजी से बढ़ रही है। चुनाव के दौरान कांग्रेस की तरफ से जारी किए गए दावे और वादे जनता की कसौटी पर खरे उतरते नहीं दिखाई दिए।
जनता ने उन्हें सिरे से नकार दिया। सबसे कम दाम में गैस सिलेंडर देने की बात हो या फिर नेताओं का जनता के बीच अपनी पैठ बनाने की बात हो, सारे मुद्दों पर कांग्रेस फेल होती दिखाई दी है।