समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा है। सपा नेता ने कहा कि संत समाज के बीच झगड़े करवाए जा रहे हैं। जो खुद से बड़ा किसी और को नहीं मानते, वो कैसे ‘योगी’ हैं? मुख्यमंत्री का बिना नाम लिए उन्होंने कहा कि जो जितना बड़ा संत होता है वो उतना ही कम बोलता है और बोलता भी है तो जनकल्याण के लिए इसलिए उसके वचन प्रवचन कहलाते हैं।

सपा प्रमुख ने आगे कहा कि कोई व्यक्ति वस्त्र से नहीं वचन से योगी होता है। जिनका काम सरकार चलाना है वो बुलडोजर चला रहे हैं और विकास का प्रतीक विनाश का प्रतीक बन गया है। उन्होंने कहा कि देश में पहली बार ऐसा हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार पर 25 लाख रुपये का भारी जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी भाजपा का सबसे बड़ा घोटाला है। उन्होंने दावा किया कि एनकाउंटर वाली सरकार का काउंटडाउन शुरू हो गया है. इसकी शुरुआत उपचुनाव से हो जाएगी।

इससे पहले योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को राज्य के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखा तंज करते हुए कहा कि जहां दिखे सपाई, वहां बिटिया घबराई। योगी ने विपक्षी दलों के समूह इंडिया गठबंधन के प्रमुख घटक सपा और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। अपने संबोधन में योगी ने कहा, 2012-17 अखिलेश यादव के नेतत्व की सपा सरकार के बीच नारा चलता था, जिस गाड़ी पर सपा का झंडा-समझो बैठा है कोई गुंडा। हाल के महीनों में अयोध्या और कन्नौज में दुष्कर्म के मामलों में सपा से संबंधित आरोपियों की ओर इशारा करते हुए योगी ने तंज किया कि आज (यह कहावत चरितार्थ है) जहां दिखे सपाई, वहां बिटिया घबराई। अयोध्या, कन्नौज में सबने इनके कारनामे को देखा है।

मुख्यमंत्री ने कहा, यह सपा का नया ब्रांड है। इन्हें लोकलाज की चिंता नहीं है, अगर इन्हें लातों से ठीक नहीं करेंगे तो यह ठीक कैसे होंगे। उन्होंने कहा, मान्यता रही है कि गांव की बहन-बेटी सबकी बहन-बेटी। हम सब इसे मानने वाले लोग हैं, लेकिन सपा ने इस ताने-बाने को छिन्न-भिन्न किया है। सपा मीडिया सेल के सोशल मीडिया हैंडल पर इनके वास्तविक संस्कार दिखते हैं, जहां यह घटिया स्तर की बातें करते हैं। योगी ने कहा, इस महीने के अंत तक 60,200 पुलिसकर्मियों की भर्ती के परिणाम आने वाले हैं। पहले शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर आदि जनपदों के नौजवान उपेक्षित होते थे, अब वे बिना किसी भेदभाव सरकारी नौकरियों में भर्ती होते हैं।

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