लखनऊ: रामचरित मानस प्रकरण में हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ दर्ज केस खारिज करने से इनकार के बाद सपा नेता ने मंगलवार को फिर विवादित टिप्पणी की। सपा नेता ने सोशल मीडिया एक्स के जरिए कहा कि कोई भी कवि भेदभाव कार्य के लिए प्रेरित नहीं कर सकता।
सपा नेता ने हाईकोर्ट का नाम लिए बगैर कहा कि ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी! सकल ताड़ना के अधिकारी! की व्याख्या करने वाले कुछ लोग कहते हैं ऐसा समुद्र ने कहा, यानी समुद्र भी बोलता है! यदि ऐसा पढ़े-लिखे, बुद्धिजीवी कहेंगे तो ढोंग, ढकोसला, पाखंड व आडंबर तो बढ़ेगा ही बढ़ेगा, साथ ही साथ सभी शूद्र समाज (एसटी, एससी, ओबीसी) व महिला समाज पर मारने-पीटने प्रताड़ित करने व जुल्म-ज्यादती, अत्याचार की घटनाएं भी बढ़ेगी। कोई भी कवि, लेखक, रचनाकार व व्याख्याता कल्पना के आधार पर धर्म का दोहाई देकर किसी को भी नीच- अधम कहने, गाली देने, मारने- पीटने प्रताड़ित करने व भेदभावपूर्ण घृणित कार्य करने के लिए प्रेरित नहीं कर सकता।
मालूम हो कि हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सोमवार को मानस प्रकरण पर सुनवाई के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ दर्ज केस खारिज करने से इनकार कर दिया था। पीठ ने कहा था कि स्वामी के कृत्य से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं।