कैमरून के प्रशासन की ओर से कहा गया है कि नैचुरोकोल्ड दवा के डिब्बे पर छपी तस्वीर यह बताती है कि इसका उत्पादन मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित रिमान लैब्स प्राइवेट लिमिटेड में हुआ है।

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जो तस्वीर स्थानीय प्रशासन की ओर से मुहैया कराई गई है उसमे मैन्यूफैक्चरर का नाम नहीं है। वहीं रिमैन लैब्स के डायरेक्टर नवीन भाटिया का कहना है कि दवा देखने में हमारी लग रही है, लेकिन हमारी कंपनी की क्वालिटी कंट्रोल को लेकर सख्त नियमावली है, हम मिलावटी सिरप नहीं बेचते हैं।

बता दें कि पिछले साल भी भारतीय दवाएं विवादों में आई थीं जब कफ सिरप पीने से गांबिया और उजबेकिस्तान में दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि दवा में मिलावट थी और इसमी जहरीला पदार्थ था।

इसी तरह के मिलावटी सिरप को लेकर भारत की दो और कंपनियां राडार पर हैं। लिबेरिया और मार्शल आईलैंड में भी भारतीय दवाओं पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

वहीं मध्य प्रदेश के फसाई का कहना है कि हमने शुरुआती जांच इस मामले में शुरू कर दी है। आपके सवाल के आधार पर हमने जांच के लिए टीम को भेज दिया है, हम इसकी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।

वहीं कैमरून अथॉरिटी का कहना है कि हमने नेचरकोल्ड की टेस्टिंग शुरू कर दी है, जल्द ही इसके नतीजे आएंगे। इस सिरप को भारत से बाहर निर्यात करने की अनुमति नहीं थी, हो सकता है कि यह देश से स्मगल करके पहुंचाई गई है।

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