के चंद्रशेखर राव ने जब से तेलंगाना राज्य की बागडोर संभाली है, उन्होंने बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से प्रदेश के विकास पर अमल शुरू किया है। केसीआर की खूबी ये है कि वह जनता की परेशानियों को बखूबी समझते हैं। इसलिए मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने एक-एक करके हर समस्याओं का समाधान शुरू कर दिया।

उन्होंने जनहित की जिन योजनाओं को प्राथमिकता दी, उसमें सिंचाई और पीने योग्य पानी की सप्लाई प्रमुख है। लोगों को पानी की दिक्कत न हो, इसलिए मिशन भागीरथ का विचार उनके मन में आया और वह उसके लिए पूरी तरह से समर्पित हो गए।

आज 44,933.66 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से शुरू की गई मिशन भागीरथ योजना से प्रदेश के हर जिले और प्रत्येक गांवों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। ताजे पानी की सप्लाई पर तेलंगाना में जितना ध्यान दिया गया है, वैसा देश का कोई राज्य नहीं दे पाया है। मिशन भागीरथ योजना के तहत हर घर तक स्वच्छ और सुरक्षित पानी उपलब्ध करवाई जा रही है। यह योजना आज तेलंगाना के गांवों के लिए वरदान साबित हो रही है।

केसीआर सरकार ने अनुमानित लागत से 18 प्रतिशत कम पर गोदावरी और कृष्णा जल को शुद्ध करके रोजाना 24,000 बस्तियों तक पहुंचाने की योजना को पूरा किया है। इस तरह से केसीआर सरकार ने न सिर्फ जनता के खजाने का 8,033.66 करोड़ रुपए बचाया है, बल्कि योजना को समय से पहले पूरा करके जनता की समस्या के समाधान के प्रति अपने समर्पण भाव को भी दिखाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 अगस्त, 2016 को गजवेल विधानसभा क्षेत्र के कोमातीबंदा गांव में मिशन भागीरथ की शुरुआत की थी।

गजवेल विधानसभा क्षेत्र ने हर घर तक सबसे पेयजल की सप्लाई कर देश में इतिहास रच दिया है। इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य ग्रामीण इलाकों में 100 लीटर और शहरी क्षेत्रों में 150 लीटर पेयजल पहुंचाना है। यही नहीं मिशन भागीरथ प्रोजेक्ट के तहत औद्योगिक जरूरतों के लिए भी करीब 4 टीएमसी पानी सप्लाई की योजना है। इसके लिए राज्य भर में 150 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, 62 पम्पिंग स्टेशन, 35,573 ओवरहेड सर्विस टैंक और 27 इंटेक वेल्स का निर्माण किया गया है।

आज केसीआर सरकार के प्रयासों की वजह से बोतलबंद पानी के लिए संघर्ष करने वाली महिलाओं का बहुत बड़ा संकट दूर हुआ है। यह प्रोजेक्ट अगले 30 साल की बढ़ती जनसंख्या के अनुमानों के आधार पर डिजाइन की गई है। इस योजना की वजह से तेलंगाना में फ्लोराइड की समस्या का पूरी तरह से अंत हो गया है। नीति आयोग ने मिशन भागीरथ के लिए 19,000 करोड़ रुपए की सिफारिश की थी, लेकिन केंद्र अड़ा रहा।

जिन गांवों के लोगों को एक समय ताजे पानी के लिए खेती के लिए उपलब्ध बोर वेल या धाराओं तक जाना पड़ता था, मिशन भागीरथ योजना के माध्यम से केसीआर सरकार ने उस ताजे पानी की व्यवस्था उनके घरों तक कर दी है। मेडक जिले के चार नगरपालिकाओं और 469 गांवों के घर-घर तक टैप के माध्यम से शुद्ध पेयजल पहुंचाया जा रहा है। अब पानी के लिए सड़कों पर खाली बर्तनों के साथ महिलाओं के झगड़े, धरना-प्रदर्शन इतिहास की बात बन चुकी है।

हैदराबाद शहर में पेयजल की किसी तरह की समस्या न हो इसके लिए राज्य सरकार ने 13,546 करोड़ रुपए की लागत से नई पाइप लाइनों और जलाशयों का निर्माण शुरू किया है। केसीआर तेलंगाना के इतिहास में ऐसे मुख्यमंत्री के तौर पर जाने जाएंगे, जिन्होंने महिलाओं के स्वाभिमान को सम्मान दिलाने का काम किया है और ताजे पानी से जुड़ी उनकी समस्या का स्थायी समाधान करके दिखाया है।

अगले 50 वर्षों की आवश्यकताओं को देखते हुए तेलंगाना सरकार ने एक नया टैंक प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसका लक्ष्य बिना किसी रुकावट के कृष्णा और गोदावरी नदियों का पानी पेयजल के रूप में उपलब्ध कराना है। नालगोंडा जिले में इस प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए सरकार ने फंड जारी किए हैं, जिससे नागार्जुन सागर से पानी की सप्लाई सुनिश्चित की जा सके।

तेलंगाना सरकार की तारीफ करते हुए नीति आयोग ने इसे देश का आदर्श राज्य बताया है, क्योंकि यहां 815 करोड़ रुपए की लागत से हर महीने मुफ्त पानी की व्यवस्था की गई है। जलमंडल अधिकारियों के मुताबिक एक करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले हैदराबाद शहर और 7 नगर निगमों, 18 नगरपालिकाओं और आउटर रिंग रोड इलाके से जुड़े 24 ग्राम पंचायतों को 602 मिलियन गैलन पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। हैदराबाद शहर में आंध्र प्रदेश के दौरान 8.15 लाख नल्ला कनेक्शन थे, जो आजकर बढ़कर 13.17 लाख हो चुके हैं।

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