दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उन्हें पद से हटाने की मांग को लेकर तीसरी याचिका दाखिल करने पर नाराजगी जताई।

कोर्ट ने कहा कि जब एक ही आधार पर केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की दो याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं तो इसी आधार को लेकर याचिका दाखिल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह जेम्स बांड की फिल्म नहीं है जिसके सीक्वल होंगे। उपराज्यपाल इस पर फैसला लेंगे। कोर्ट ने यह कहते हुए इससे संबंधित तीसरी याचिका खारिज कर दी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि अदालत को राजनीतिक मामलों में शामिल करने की कोशिश न करें। उसने यह कहते हुए याचिकाकर्ता पूर्व विधायक संदीप कुमार की आलोचना की और कहा कि वह उन पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाएंगे। साथ ही कहा कि वह राजधानी में उपराज्यपाल शासन नहीं लगा सकते। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता व्यवस्था को मजाक बना रहे हैं।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि उनके मामले में संविधान की व्याख्या की आवश्यकता है। धनशोधन के मामले में गिरफ्तारी के कारण केजरीवाल अब मुख्यमंत्री का पद संभालने के योग्य नहीं हैं। पीठ ने कहा कि अगर कोई शिकायत थी तो उसी मुद्दे पर तीसरी याचिका दाखिल करने के बजाय पहले के फैसलों के खिलाफ अपील दाखिल की जानी चाहिए थी।

कोर्ट ने 28 मार्च को केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करने वाली याचिका खारिज करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता ऐसी कोई कानूनी बाध्यता दिखाने में विफल रहा है जो गिरफ्तार मुख्यमंत्री को पद संभालने से रोकती हो। ऐसे मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप की भी कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि इस मुद्दे को देखना राज्य के अन्य अंगों का काम है। वह राजधानी में संवैधानिक मशीनरी के खराब होने की घोषणा नहीं कर सकती।

कोर्ट ने 4 अप्रैल को इस मुद्दे पर दूसरी जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था और याचिकाकर्ता को उपराज्यपाल (एलजी) से संपर्क करने की छूट दी थी।

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