दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दिल्ली में LG के साथ अधिकार के मुद्दे पर चल रही केजरीवाल की लड़ाई SC के फैसले के बाद काफी हद तक उनके पक्ष में चली गई थी। लेकिन केंद्र के अध्यादेश के बाद एक बार फिर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को अपनी हार नजर आ रही है। केजरीवाल की अगुवाई वाली आप, केंद्र सरकार के इस कदम से काफी गुस्से में है। केजरीवाल ने इस मुद्दे को अपने नाक की लड़ाई बना ली है। केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज 25 मई को महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और NCP चीफ शरद पवार से मुलाकात की। केंद्र के साथ चल रही इस तनातनी में वे कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली की सत्ता से बाहर रखने के अपने एजेंडे को भी सफल बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। शरद पवार से केजरीवाल मुलाकात को भी इसी कड़ी का अहम हिस्सा माना जा रहा है।

क्यों दौड़ भाग कर रहे हैं केजरीवाल

केजरीवाल को पता है कि लोकसभा में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए आसानी से इसे पास करा लेगी, क्यूंकि यहां इनके पास पर्याप्त बहुमत है। लेकिन राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत नहीं है। यहां एनडीए के पास 110 समर्थन है, ऐसे में बीजेपी को इस अध्यादेश को पास कराने के लिए एनडीए के अलावा अन्य सदस्यों की जरूरत भी पड़ेगी।

इसीलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पूरी कोशिश कर रहे हैं कि केंद्र सरकार इस अध्यादेश को राज्यसभा में पास नहीं करा पाए। इसके लिए विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर रहे हैं। इस कड़ी में वो विपक्ष के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं और इस अध्यादेश के खिलाफ उनकी पार्टी को सपोर्ट देने की बात कर रहे हैं।

इन नेताओं ने केजरीवाल को समर्थन दिया

अरविंद केजरीवाल को अध्यादेश को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का साथ मिला है। केजरीवाल से इन दोनों नेताओं ने रविवार को मुलाकात की थी। नीतीश ने अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों से एकजुट होने की अपील की है। केजरीवाल के लिए यह बड़ी राहत की बात है।

ममता ने भी इन्हें समर्थन देने का वादा किया है। बुधवार 24 मई को मुंबई में उद्धव ठाकरे ने भी इन्हें साथ देने की बात कही। इसके बाद आज 25 मई गुरुवार को शरद पवार से मुलाकात का अंजाम में केजरीवाल के पक्ष में रहा। अब आगे केजरीवाल विपक्ष के किस नेता से मिलते हैं ये देखने वाली बात होगी।

CM अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण से जुड़ा केंद्र का अध्यादेश इस बात का परिचायक है कि मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास नहीं करती है। एक लोकतंत्र में सत्ता चुनी हुई सरकार के हाथों में होनी चाहिए, क्योंकि वह लोगों के प्रति जवाबदेह होती है। बीजेपी न तो लोकतंत्र और न ही सुप्रीम कोर्ट में विश्वास करती है।

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