बतादें कि चक्का जाम की सूचना मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। आनन फानन में कई अधिकारी मौके पर पहुंचे और किसान नेताओं को समझाया और जाम खुलवाया। इसके बाद कलेक्ट्रेट पहुंचकर किसानों ने डीएम के नाम एक ज्ञापन सौंपा। साथ ही ज्ञापन के माध्यम से किसानों की विभिन्न समस्याओं के जल्द समाधान कराने की मांग उठाई।
जानकारी देते हुए भाकियू चढूनी के जिलाध्यक्ष नरेश चौधरी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में गन्ने का भाव पिछले चार साल से नहीं बढ़ाया गया है। जबकि प्राविधान यह है कि सरकारी कर्मचारी का भी हर वर्ष भत्ता बढाया जाता है तो किसान की फसलों का मूल्य क्यों नहीं बढ़ाया जा रहा है। जबकि पिछली सरकारों में किसान की फसलों के दाम प्रत्येक वर्ष बढाया जाता था। साथ ही एक दस सूत्रीय मांग पत्र डीएम को सौंपा। जिसमें बताया कि बकाया गन्ना भुगतान किसानों को कराया जाये और गन्ना एक्ट के अनुसार 14 दिन में गन्ना चीनी मिल किसानों को भुगतान करें।

निजी स्कूल शिक्षा के नाम पर किताबों, ड्रेस आदि में मनमाने तरीके से पैसे वसूल रहे हैं। साथ ही एन०सी०ई०आर०टी० की बुके लागू हो और फीस का भी एक मानक तय हो, ताकि मंहगी पढाई से आम आदमी की कमर न टूटे। अवारा गौवंश को पकड़कर गौशालाओं में भिजवाया जाये ताकि किसानों की फसलों का नुकसान होने से बच सके।

किसी भी आम नागरिक के प्रार्थना पत्र पर किसी भी सरकारी कार्यालय में निश्चित समय में कार्यवाही पूर्ण हो और विलम्ब होने पर उक्त विलंब करने वाले अधिकारी/कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाये। साथ ही चेतावनी दी कि अगर जल्द समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो भाकियू चढूनी उग्र आंदोलन करने को मजबूर होगी।

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