दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच ने किडनी रैकेट कांड मामले में गौतमबुद्ध नगर के सीएमओ डॉक्टर सुनील कुमार शर्मा और दो अस्पतालों यथार्थ और अपोलो को क्लीन चिट दे दी है।

दिल्ली पुलिस की तरफ से इन सभी से जवाब मांगा गया था और अंग प्रत्यारोपण से संबंधित कागजात तलब किए गए थे। सभी कागजात की जांच करने के बाद फिलहाल दिल्ली पुलिस ने इन्हें शक के दायरे से अलग कर दिया है। लेकिन इस मामले में जांच अभी जारी है।

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में कई अहम खुलासे किए हैं। जिनमें यह बताया गया है कि ये लोग कैसे किडनी ट्रांसप्लांट के लिए फाइल तैयार करते थे और उस फाइल को तैयार करने में जो पेपर लगाए जाते थे वह बिल्कुल असली लगते थे और उन पर सभी मंजूरी मिली होती थी। इन्हें देखकर कोई भी गड़बड़ी का पता नहीं लगा सकता है।
फिलहाल पुलिस के मुताबिक इस पूरे मामले में डॉक्टर विजया और उनके निजी सचिव और कई दलालों की अहम भूमिका सामने आई है। इस गिरोह का तरीका किडनी कांड के लिए बहुत अलग होता था।

यह लोगों को नौकरी दिलाने के नाम पर भारत लेकर आते थे। यहां पर उनका पासपोर्ट रख लिया जाता था। धीरे-धीरे उन्हें लालच देकर और मजबूर करके किडनी ट्रांसप्लांट के लिए तैयार किया जाता था और फिर किडनी प्राप्तकर्ता के पेपर तैयार किए जाते थे। अब तक इस गिरोह ने कितने लोगों की किडनी बदली है इसकी जांच की जा रही है और आंकड़े जुटाए जा रहे हैं।

सूत्रों की माने तो करीब 500 लोगों का किडनी बदलवाने का काम इस गिरोह ने किया है।

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