कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने गुरुवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पत्र लिखकर कहा कि तमिलनाडु के लिए कावेरी का पानी छोड़ना संभव नहीं है क्योंकि ऐसा करने पर उनके राज्य के किसानों, आम लोगों और पशुओं को संकट का सामना करना पड़ेगा।
सिद्दारमैया ने रेखांकित किया, “किसानों, पशुओं और पीने के लिए कावेरी जल पर निर्भर लोगों को संकट में धकेल कर कावेरी जल विनियमन समिति (सीडब्ल्यूआरसी) के आदेश को लागू करना संभव नहीं है।”
उन्होंने कहा कि समिति के निर्णय के अनुसार केआरएस और काबिनी बांधों से बिलिगुंडलू के माध्यम से 15 दिन के लिए 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ना संभव नहीं है।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री शेखावत से राज्य की जनता और पशुधन के हितों की रक्षा का भी अनुरोध किया है।
उन्होंने कहा, कर्नाटक ने समिति के पहले के आदेश का पालन किया था और वर्तमान में अधिकांश तालुक मानसून की विफलता के कारण सूखे का सामना कर रहे हैं।
सिद्धारमैया ने कहा, “जून से मध्य सितंबर तक तमिलनाडु ने 100 टीएमसी पानी का उपयोग किया था। सूखे की अवधि में उपयोग 1987-88, 2002-03, 2012-13, 2016-17 और 2017-18 से अधिक है। हालांकि पानी का स्तर कर्नाटक के बांध सबसे निचले स्तर पर हैं।”
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की भविष्यवाणी के मुताबिक, 12 से 24 सितंबर के बीच बारिश की कोई संभावना नहीं है।
सिद्धारमैया ने कहा कि तमिलनाडु के मेट्टूर बांध में 12 सितंबर को जल भंडारण स्तर 24.233 टीएमसी था। अगर छोड़े गए पानी को ध्यान में रखा जाए, तो तमिलनाडु की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध है।
खड़ी फसलों के लिए 70 टीएमसी पानी, पीने के पानी के लिए 33 टीएमसी पानी और उद्योगों के लिए 3 टीएमसी पानी की आवश्यकता होती है। सिद्धारमैया ने कहा, “हमारा भंडारण केवल 53 टीएमसी है और यह आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।”
कर्नाटक सरकार ने बुधवार को सीडब्ल्यूआरसी के समक्ष एक और याचिका दायर करने का फैसला किया, ताकि राज्य की वर्तमान स्थिति को रेखांकित किया जा सके, जिसके कारण तमिलनाडु को पानी छोड़ने में असमर्थता हो रही है।
सिद्दारमैया ने कहा कि इस संबंध में बुधवार को यहां हुई सर्वदलीय बैठक में निर्णय लिया गया।
बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सिद्दारमैया ने कहा, ”याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी सौंपी जाएगी और मौजूदा स्थिति के बारे में बताया जाएगा। और 5,000 क्यूसेक पानी छोड़े जाने और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका दायर करने के संबंध में उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार दिल्ली जाएंगे और कानूनी टीम के साथ इस मामले पर चर्चा करेंगे।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि इस मुद्दे पर राज्य के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के लिए समय मांगने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा जाएगा।