भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज की सुनवाई पूरी कर ली है। सुनवाई के लिए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद समेत कई याचिकाकर्ता सीजेआई के न्यायालय कक्ष में मौजूद रहे। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया गया है। प्रतिवादियों के अनुरोध के बाद न्यायालय कल दोपहर 2 बजे सुनवाई करेगा।
हाल ही में केंद्र सरकार ने वक्फ कानून में संशोधन किया था, जिसे लागू किया जा चुका है। इसे लेकर कुछ जगहों पर विरोध-प्रदर्शन भी हुए हैं, और कई स्थानों पर हिंसक घटनाएं भी सामने आई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम पारित होने के बाद हुई हिंसा पर संज्ञान लिया। सीजेआई ने कहा कि एक बात बहुत परेशान करने वाली है, हिंसा। यह मुद्दा कोर्ट के सामने है और हम इस पर फैसला लेंगे।
वक्फ संपत्तियों से जुड़े एक अहम मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से वक्फ बाय यूजर की संपत्तियों को लेकर तीखे सवाल किए। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से पूछा कि वक्फ बाय यूजर का पंजीकरण कैसे किया जाएगा, क्योंकि दस्तावेजों का अभाव हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वक्फ बाय यूजर को रद्द करने” से समस्या पैदा होगी, इसका कुछ दुरुपयोग भी हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 100 साल पहले का इतिहास फिर से नहीं लिखा जा सकता। सीजेआई संजीव खन्ना ने तुषार मेहता से कहा जहां पब्लिक ट्रस्ट को वक्फ घोषित किया गया है, मान लीजिए 100 या 200 साल पहले, आप पलटकर कहते हैं कि इसे वक्फ बोर्ड ने ले लिया है।