उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। ऐसे में 2 मई से शुरू होने जा रही केदारनाथ यात्रा को लेकर भी उत्साह दिखाई देने लगा है।

सोमवार को ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से बाबा केदारनाथ की चलविग्रह डोली ने अपने दिव्य धाम की ओर प्रस्थान कर लिया है। इस दौरान सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालु मौजूद रहे और क्षेत्र बाबा केदारनाथ की जय-जयकार से गूंज उठा।

दरअसल, बाबा केदारनाथ की चलविग्रह डोली उखीमठ में छह महीने के लिए रुकती है, जहां पूजा-अर्चना होती है और जब कपाट खुलने का ऐलान होता है तो फिर यह डोली वापस केदारनाथ धाम लौट आती है।

सोमवार की सुबह ‘बाबा केदारनाथ की उत्सव डोली’ आर्मी बैण्ड की भक्तिमय धुनों, हजारों भक्तों के उत्साह और भोले के जयकारों के साथ अपने प्रथम पड़ाव विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी के लिए प्रस्थान हुई। केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग ने पंच केदार गढ़ीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में पुजारी बागेश लिंग को विधि विधान के साथ अंग वस्त्र और मुकुट पहनाकर आशीर्वाद दिया।

डोली प्रस्थान से पहले बीती रात को बाबा केदारनाथ के रक्षक क्षेत्रपाल भैरवनाथ की पूजा-अर्चना संपन्न की गई। बता दें कि 6 महीनों के शीतकालीन प्रवास के बाद अब शुभ घड़ी आ गई है। श्री केदार बाबा की पंचमुखी डोली विभिन्न पड़ावों से होते हुए 1 मई को केदारनाथ धाम पहुंचेगी, 2 मई को सुबह 7 बजे बाबा केदारनाथ के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे।

इस दौरान जिला प्रशासन, पुलिस, मंदिर समिति के अधिकारी, कर्मचारी, तीर्थ पुरोहितों सहित हजारों भोले भक्त मौजूद रहेंगे।

इससे पहले, यात्रा मार्ग और केदारनाथ धाम में व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने के लिए संस्कृति एवं भाषा विभाग के सचिव और केदारनाथ यात्रा के प्रभारी सचिव युगल किशोर पंत ने क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया था।

निरीक्षण के दौरान युगल किशोर पंत केदारनाथ मंदिर परिसर पहुंचे और वहां चल रहे पुनर्निर्माण तथा सौंदर्यीकरण कार्यों का जायजा लिया।

उन्होंने निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और प्रगति की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि सभी कार्य समयबद्ध तरीके से पूरे किए जाएं, ताकि यात्रा शुरू होने से पहले श्रद्धालुओं को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े। इसके साथ ही उन्होंने गौरीकुंड से केदारनाथ तक के पैदल मार्ग का भी निरीक्षण किया और मार्ग पर जमी बर्फ को तत्काल हटाने के लिए संबंधित विभागों को आदेश दिए। मंदिर परिसर में जमी बर्फ को भी शीघ्र हटाने पर जोर दिया गया।

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