असम में लंबे समय से उल्फा के साथ चल रहा संघर्ष अब खत्म होने जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार आज सरकार और उल्फा के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत होने जा रही है। माना जा रहा है कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत के दौरान शांति समझौता हो सकता है।

गौर करने वाली बात है कि उल्फा पिछले कई वर्षों से सुरक्षाबलों के खिलाफ कई वर्षों से हिंसात्मक संघर्ष कर रहा था। ऐसे में आज दोनों पक्षों के बीच शांति समझौता होने के बाद पूर्वोत्तर में शांति की ओर यह बड़ा कदम हो सकता है। शांति समझौता होने के बाद उल्फा के हजारों कमांडर सशस्त्र आत्मसमर्पण करेंगे और मुख्यधारा में शामिल होंगे।

गृहमंत्री अमित शाह, असम सरकार और युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट के बीच होने वाला यह समझौता कई मायनों में अहम है। इस समझौते का मकसद पिछले कई दशकों से असम में चल रहे हिंसक संघर्ष और उग्रवाद को खत्म करना है। दिल्ली में शाम 5 बजे नॉर्थ ब्लॉक में यह समझौता होने जा रहा है।

पिछले एक वर्ष से भारत सरकार इस शांति समझौते को करने का प्रयास कर रही थी। गृहमंत्री अमित शाह की पहल पर यह अहम समझौता होने जा रहा है। उल्फा की गठन 1979 में एक अलग संप्रभु राज्य की मांग को लेकर हुआ था। उसके बाद से यह लगातार विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा है। हालांकि 1990 में भारत सरकार ने इस संगठन को प्रतिबंधित घोषित कर दिया था।

 

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