फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को उत्तर बिहार के देवघर में बाबा संग जमकर होली खेली जाती है। मुजफ्फरपुर में गरीबनाथ महादेव को भक्त अबीर गुलाल लगाते हैं । वैसे अपने विवाहोत्सव यानि महाशिवरात्रि के बाद से ही देवाधिदेव होली खेलना शुरू कर देते हैं।

चतुर्दशी को परम्परानुसार बाबा गरीबनाथ का रंग, अबीर तथा भस्म से महाश्रृंगार होता है। महाश्रृंगार से पहले बाबा का दूध, दही, घी, मधु तथा शक्कर से अभिषेक कर पूजन-आरती की जाती है। इसके बाद रंग-बिरंगे फूलों से बाबा का महाश्रृंगार कर रंग-अबीर तथा भस्म से होली खेली जाती है।

पूजा के साथ ही बाबा गरीबनाथ के बाद होली खेलने आए श्रद्धालुओं के बीच पुआ का प्रसाद वितरण किया जाता है। ढोल मंजिरों के साथ भक्ति गीतों और पारंपरिक गीतों से पूरे प्रांगण में अजब सी खुमारी छा जाती है। बाबा गरीबनाथ दरबार में ‘होली खेले मसाने’ जैसे भक्तिगीत और जोगीरा गीतों से अजब सा रोमांच जगता है।

कहा जाता है कि बिहार में होली की शुरुआत बाबा गरीबनाथ से ही होती है, जिसके बाद अन्य स्थानों पर होली उत्सव मनाया जाता है। मंदिर प्रशासन के मुताबिक वृंदावन की तर्ज पर इस साल बाबा गरीबनाथ के साथ गेंदा, अपराजिता, रजनीगंधा और गुलाब के फूलों से होली खेली गई।

इससे पहले रंगभरी एकादशी पर भी गजब का माहौल दिखा था। बता दें कि फागुन माह पर रंगभरी एकादशी पर भी ऐसा ही माहौल था। बाबा मंदिर के प्रांगण और गर्भ गृह में मंदिर के पुजारियों और श्रद्धालुओं ने हाथ में गुलाल ले और कई तरह के फूलों से होली खेली थी। हर-हर महादेव के नारे से बाबा नगरी गरीबनाथ धाम गुंजायमान हो गई।

12 मार्च 2025 को फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है, जो 13 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगी।

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