मुज़फ्फरनगर। यूं तो समाज सेवा काफी लोग करते आ रहे हैं, मगर कुछ समाज सेवा ऐसी होती हैं जो सबसे अलग दिखाई देती है ऐसी ही समाज सेवा जनपद की समाज सेविका क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा की जा रही है जो जनपद के साथ साथ पड़ोसी जनपदों में भी जन जन की जुंबा पर रहती है। बता दे कि एक सप्ताह में एक के बाद एक चार अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझने के बाद घर वापस लौटते ही लावारिश को कफन ओढ़कर उसको अपना नाम देने के साथ विधि विधान से अंतिम संस्कार कर पंच तत्वों में विलीन किया। क्रांतिकारी शालू सैनी ने खास बातचीत में बताया कि मेरे लिए मेरी जिंदगी इतना मायने नही रखती हैं जितना की लावारिसो का वारिस बनकर उनको मुखाग्नि देना मेरे लिए मायने रखता है। उन्होंने कहा कि आज मैं अगर जिंदा वापस लौटकर आई हूं तो इसका मतलब अभी मुझको और सेवा करनी है, उनका कहना है कि ऊपर वाले ने मुझको इस नेक कार्य के लिए चुना है, मैं इसको भली भांति और पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ अंजाम दूंगी। समाज सेवा के प्रति इस कदर दीवानगी देखकर एक युवक ने अपनी पहचान को गुप्त रखते हुए बताया कि समाज सेवा तो बहुत करते हैं, क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा समाज सेवा का जीता जागता उदाहरण हैं, जिसको देखने मात्र से ही लगता है कि अभी धरातल पर हकीकत के समाज सेवी जिंदा है जो निस्वार्थ भाव से जिंदा लोगो के साथ साथ लावारिस शवो को भी अपना बनाकर उनको पंच तत्वों में विलीन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

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