विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने ज्ञानवापी ढांचे के तहखाने में भगवान विश्वेशर की पूजा, सेवा की अनुमति देने के वाराणसी के न्यायालय के फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस महत्वपूर्ण आदेश ने खुशी का संचार किया है और उन्हें उम्मीद है कि संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर के मुकदमे का फैसला भी जल्द ही हिंदू समाज के पक्ष में होगा।
आलोक कुमार ने कहा कि काशी की जिला अदालत ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिससे विश्व के सभी हिंदुओं का हृदय आनंद से भर गया है। ज्ञानवापी ढांचे के तहखाने के दक्षिण भाग में मंदिर स्थित है। 1993 तक यानी आज से 31 वर्ष पहले तक उस मंदिर में भगवान की नियमित पूजा-अर्चना होती थी।
1993 में वहां बाड़ लगा दी गई, हिंदुओं का आना-जाना बंद कर दिया गया और अन्यायपूर्वक वहां उनके पूजा के अधिकार से वंचित कर दिया गया। उसको वापस शुरू करने के लिए मुकदमा दायर किया गया।
कुछ समय पहले वादी की प्रार्थना पर कोर्ट ने वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को उस जगह का रिसीवर तय कर दिया और उन्हें उसकी सुरक्षा संभाल का दायित्व दिया गया। किंतु, उस आदेश में पूजा-अर्चना के बारे में कुछ नहीं था। अतः वादी ने दोबारा कोर्ट में प्रार्थना पत्र लगाया। आदेश पर खुशी जताते हुए विश्व हिंदू परिषद के नेता ने कहा कि उन्हें बहुत प्रसन्नता है कि कोर्ट ने आज कहा कि वादी और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट मिलकर एक पुजारी की नियुक्ति कर दें और यह पुजारी इस बात का ध्यान रखें कि वहां नियमित विधिपूर्वक पूजा-अर्चना, सेवा होती रहे। यह अधिकार 31 वर्ष बाद मिला, इतना समय क्यों लगा, यह सोचना होगा पर जब मिला तब अच्छा।
उन्होंने कहा कि वे इसमें भविष्य की भी आहट देखते हैं और इसलिए उन्हें आशा है कि इस निर्णय के बाद, सम्पूर्ण ज्ञानवापी परिसर के मुक़दमे का फैसला भी जल्दी होगा और प्रमाणों और तर्क के आधार पर वह आश्वस्त हैं कि यह फैसला हिन्दू समाज के पक्ष में ही आएगा।
उन्होंने कहा कि हिंदू भगवान काशी विश्वेश्वर को उनके मूल स्थान पर पुनः स्थापित कर सकेंगे, जो सम्पूर्ण मानवता के कल्याण के लिए होगा।