भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि पाकिस्तान की ‘वैश्विक आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले दुष्ट देश’ के रूप में भूमिका उसके रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के कबूलनामे से उजागर हो गई और दुनिया इसे नजरअंदाज नहीं कर सकती।

भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने सोमवार को कहा कि ‘पूरी दुनिया ने उन्हें आतंकवादी संगठनों को समर्थन, ट्रेनिंग और फंडिंग देने का पाकिस्तान का इतिहास स्वीकार करते सुना।’ उन्होंने स्काई न्यूज के साथ आसिफ के हालिया साक्षात्कार का जिक्र करते हुए यह बात कही।

पटेल ने कहा, “इस खुले कबूलनामे से किसी को हैरान नहीं हुई और इससे पाकिस्तान एक ‘दुष्ट देश’ के रूप में उजागर हुआ जो वैश्विक आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और क्षेत्र को अस्थिर कर रहा है। दुनिया अब और आंखें मूंदकर नहीं रह सकती।”

पटेल आतंकवाद पीड़ित संघ नेटवर्क (वीओटीएएन) के शुभारंभ के अवसर पर एक पाकिस्तानी राजनयिक की तरफ से भारत पर किए गए परोक्ष हमले का जवाब दे रही थीं। उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक विशेष प्रतिनिधिमंडल ने दुष्प्रचार करने और भारत के खिलाफ निराधार आरोप लगाने के लिए इस मंच का दुरुपयोग किया।”

पिछले हफ्ते स्काई न्यूज के एक साक्षात्कारकर्ता ने आसिफ से पूछा था कि क्या पाकिस्तान का आतंकवादी संगठनों को “समर्थन, ट्रेनिंग और फंडिंग” देने का लंबा इतिहास रहा है। उन्होंने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि ऐसा ही है। लेकिन उन्होंने इसका दोष पश्चिम पर डालने की कोशिश की।

आसिफ ने साक्षात्कारकर्ता से कहा, “हम करीब तीन दशक से अमेरिका और ब्रिटेन समेत पश्चिमी देशों के लिए यह गंदा काम कर रहे हैं…यह एक गलती थी और हमें इसकी कीमत चुकानी पड़ी, इसीलिए आप मुझसे यह कह रही हैं। अगर हम सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध में और 9/11 के बाद की जंग में शामिल नहीं होते, तो पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड बेदाग होता।”

इससे पहले, पाकिस्तान मिशन के काउंसलर जावेद अजमल ने कहा कि पाकिस्तान के पास इस बात के ‘विश्वसनीय सबूत’ हैं कि बलूच लिबरेशन आर्मी की तरफ से यात्री ट्रेन पर किए गए आतंकी हमले को ‘क्षेत्र में हमारे विरोधियों से बाहरी समर्थन’ मिला था।

हालांकि अजमल ने स्पष्ट रूप से भारत का नाम नहीं लिया, लेकिन वे पाकिस्तान के सैन्य जनसंपर्क प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी की बात दोहरा रहे थे, जिन्होंने दावा किया था कि भारत ने बलूच लिबरेशन आर्मी को वित्तपोषित किया। बलूच लिबरेशन आर्मी पर पिछले महीने ट्रेन पर हमला करने का आरोप है।


पाकिस्तान मिशन के काउंसलर ने पिछले सप्ताह पहलगाम आतंकवादी हमले पर चिंता व्यक्त की और पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की, लेकिन अजमल ने यह कहने खुद को रोक नहीं पाए कि यह घटना ‘भारत द्वारा अवैध रूप से कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर’ में हुई थी

पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के एक मुखौटा संगठन, जो खुद को प्रतिरोध मोर्चा कहता है, ने पहलगाम नरसंहार की जिम्मेदारी ली है, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई।

आतंकवाद निरोधक संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने आतंकवाद के पीड़ितों, उनके संगठनों और नागरिक समाज समूहों को एक साथ लाने और पीड़ितों का समर्थन करने के लिए एक वैश्विक नेटवर्क बनाने के लिए वीओटीएएन की शुरुआत की है।

पटेल ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद “दुनिया भर के नेताओं और सरकारों की तरफ से मिला मजबूत, स्पष्ट समर्थन और एकजुटता, आतंकवाद के प्रति अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की शून्य सहिष्णुता का प्रमाण है।”

भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि 2008 में हुए 26/11 के मुंबई हमलों के बाद से इस हमले में सबसे अधिक नागरिक हताहत हुए हैं। उन्होंने कहा, “दशकों से सीमा पार आतंकवाद का शिकार होने के कारण भारत इस तरह के कृत्यों के पीड़ितों, उनके परिवारों और समाज पर पड़ने वाले दीर्घकालिक प्रभाव को अच्छी तरह समझता है।”

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