भारत का महत्वकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-3 अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। बस कुछ घंटों का इंतजार और भारत रचेगा इतिहास। चंद्रयान-3 चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के लिए पूरी तरह तैयार है। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि आज यानी बुधवार (23 अगस्त) शाम 6:04 बजे चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी। चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग से भारत स्पेस पॉवर में चौथा देश बन जाएगा। भारत से पहले चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के मामले में अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन के पहले सफलता मिल चुकी है। चंद्रयान-3 मिशन की लागत 600 करोड़ रुपये है. इसे 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शक्तिशाली रॉकेट एलवीएम मार्क 3 से लॉन्च किया गया था।
इसरो अधिकारियों के अलावा कई लोगों का कहना है कि लैंडिंग प्रक्रिया के 17 मिनट बेहद जोखिम भरे रहने वाले है। बताया जा रहा है कि इस दौरान पूरी प्रक्रिया ऑटोनॉमस होगी, लैंडर को अपने इंजनों को सही समय और ऊंचाई पर चालू करना होगा। इसके साथ ही सबसे खास सही मात्रा में ईंधन का इस्तेमाल करना। अंत में चाद की सतह छूने से पहले किसी भी बाधा या पहाड़ी या क्रेटर की जानकारी के लिए चंद्रमा की सतह को स्कैन किया जाएगा। इस प्रकार से अंतिम 17 मिनट काफी अहम है।
देश और दुनिया की नजर मिशन मून चंद्रयान-3 पर टिकी हुई है। मिशन को लेकर जितना उत्साह और रोमांच है उतना ही चांद पर उतरना जटिल और मुश्किल। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 23 अगस्त को चंद्रयान की सफल लैंडिंग कराने में किसी में प्रकार की समस्या पैदा होने पर अपनी योजना को बदल सकती है। इसरो सैंटिस्ट नीलेश एम देसाई ने बताया कि पूर्व निर्धारित तिथि और समय पर साफ्ट लैंडिंग प्रक्रिया में अड़चन आने पर इसे 27 अगस्त के लिए स्थगित किया जा सकता है।
देसाई ने मिशन मून की लैंडिंग प्लान के बारे में बताते हुए कहा कि ’23 अगस्त को चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर लैंड होने से दो घंटे पहले लैंडर मॉड्यूल की हेल्थ और मून की स्थिति के आधार पर हम तय करेंगे कि लैंड करना सही होगा या नहीं। अगर स्थिति हमारे पक्ष में नहीं होगी , तो हम 27 अगस्त को मॉड्यूल को चंद्रमा पर उतारेंगे। कोई परेशानी नहीं आनी चाहिए और हम 23 अगस्त को मॉड्यूल को लैंड कर सकेंगे।’