पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले पिपराइच के राम सिंह से पूछताछ में एटीएस को कई अहम सुराग मिले हैं। सूत्रों का दावा है कि राम सिंह ने कबूला है कि युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य, विक्रांत, सुभद्रा आदि की तस्वीरें और उनके आने-जाने वाले समुद्री मार्गों की फोटो उसने आईएसआई तक भेजी है।

पूछताछ में उसने यह भी बताया कि उसे ठीक से मालूम था कि पाकिस्तान की आईएसआई एजेंसी को सूचनाएं भेज रहा है। राम सिंह ने एटीएस को बताया कि वह गोवा शिपयार्ड के नेवल बेस में पार्ट टाइम वर्कर के तौर पर काम करता था। वहां नेवी के कई युद्धपोत मरम्मत के लिए आते थे।
फोटो लेकर वह आईएसआई की महिला एजेंट से साझा करता था। उसने बताया कि समुद्री मार्ग से एक से दूसरी जगह जाने के दौरान वह रास्ते की फोटो भी भेजता था। पूछताछ के दौरान उसने यह भी जानकारी दी कि वह पिछले तीन साल से आईएसआई की महिला एजेंट से जुड़ा था और युद्धपोतों और उनके रूट की फोटो भेजने के एवज में उसे तीन साल में 1.50 लाख रुपये मिले थे। उसमें से 51 हजार पांच सौ रुपये आईएसआई की महिला एजेंट के कहने पर अन्य आठ लोगों के खातों में भेज दिया था। उसने यह भी स्वीकार किया कि तीन साल पहले आईएसआई की महिला एजेंट के संपर्क में आने पर उसने बता दिया था कि भारत के सुरक्षा प्लान को वह आईएसआई अधिकारी को मुहैया कराती है।
पूछताछ के आधार पर जांच आगे बढ़ा रही है पुलिस एटीएस ने गत 17 मई को गोरखपुर के पिपराइच के रमावापुर निवासी राम सिंह को पकड़ा था। यह पुष्ट हो गया कि वह पाकिस्तान के लिए जासूसी करता है।
यूपी एटीएस की जांच में पता चला है कि पाकिस्तान की आईएसआई एजेंट एक महिला ने खुद को कीर्ति कुमारी बताकर राम सिंह से दोस्ती की थी। इसके बाद वह पैसों का लालच देकर जासूसी करवाने लगी. राम सिंह ने पाकिस्तानी एजेंट को भारतीय नौसेना के कई युद्धपोतों की तस्वीरें और नौसेना बेस का वीडियो बनाकर भेज रहा था।

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