भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं और हिंदू संगठनों ने दावा किया कि अलीगढ़ के दिल्ली गेट थाना क्षेत्र के एक मुस्लिम बहुल इलाके में लंबे समय से बंद पड़ा एक और शिव मंदिर ढूंढ निकाला गया है। उन्होंने बताया कि सराय मियां इलाके में स्थित यह मंदिर ढूंढ निकाला गया। वहीं, 36 घंटे पहले बन्नादेवी थाना क्षेत्र के अंतर्गत सराय रहमान इलाके में भी इसी तरह का एक और बंद मंदिर मिला था। भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) की शहर इकाई के सचिव हर्षद, बजरंग दल के नेता अंकुर शिवाजी कई अन्य लोगों के साथ मौके पर पहुंचे और बताया कि बंद मंदिर परिसर पूरी तरह से अव्यवस्थित था और मूर्तियां मलबे में दबी हुई थीं। उन्होंने कहा कि पुलिस की मौजूदगी में गेट पर लगे ताले तोड़े गए और धार्मिक नारों के बीच मंदिर की सफाई और शुद्धिकरण किया गया।

पुलिस अधीक्षक (शहर) मृगांक शेखर पाठक ने बताया कि इन इलाकों में शांति समितियों की बैठक आयोजित की जा रही हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन मंदिरों को पूरी तरह से बहाल किया जाए और यहां शांतिपूर्ण तरीके से पूजा की जाए। उन्होंने बताया, ‘‘अब तक दोनों इलाकों से किसी भी अप्रिय घटना की कोई सूचना नहीं मिली है।” सराय मियां के स्थानीय निवासियों के अनुसार, बाबरी मस्जिद ढहाये जाने से पहले और बाद में शहर में सांप्रदायिक दंगे हुए, जिसके कारण हिंदुओं और मुसलमानों का पलायन हुआ। इस जनसांख्यिकीय बदलाव के कारण बस्तियों के साथ-साथ नयी कॉलोनियों का निर्माण भी हुआ। स्थानीय निवासी मोहम्मद अकील कुरैशी ने बताया कि पिछले कई वर्ष से मंदिर में किसी प्रकार की कोई पूजा नहीं हो रही थी और कोई भी व्यक्ति परिसर में नहीं जाता था। मुस्लिम निवासियों ने मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण को रोकने के लिए पहल करते हुए एक चारदीवारी बनाई।

हालांकि, अधिकतर लोगों का मानना है कि इस मंदिर में तीन या चार दशक तक किसी प्रकार की पूजा नहीं की गई क्योंकि यहां रहने वाले हिंदू समुदाय के लोग सांप्रदायिक दंगों के बाद पलायन कर गए थे। इस बीच, हिंदू संगठनों के कई कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को श्रद्धालुओं के साथ मिलकर अलीगढ़ के मुस्लिम बहुल सराय मियां इलाके में ढूंढे गए शिव मंदिर में आरती, शिव पाठ और हनुमान चालीसा जैसे अनुष्ठान किए। भाजयुमो के नगर सचिव हर्षद ने कहा कि विभिन्न हिंदूवादी संगठनों के सदस्यों ने ऐसे बंद पड़े मंदिरों की पहचान करने और उन्हें “पुनर्स्थापित” करने के लिए अभियान शुरू किया है। उन्होंने कहा, “प्रक्रिया इन मंदिरों के शुद्धिकरण से शुरू होती है, उसके बाद नियमित पूजा-अर्चना की जाती है।”

 

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights