प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर ने देश के करोड़ों लोगों को एक सूत्र में बांध दिया और इस दौरान सामूहिकता की जो शक्ति देखी गई वह विकसित भारत के संकल्पों का बहुत बड़ा आधार है।
प्रधानमंत्री ने आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ 109वीं और इस साल की पहली कड़ी में देशवासियों से संवाद करते हुए कहा कि इस साल हमारे संविधान के निर्माण के 75 वर्ष और उच्चतम न्यायालय के भी 75 वर्ष हो रहे हैं और लोकतंत्र के ये पर्व लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत को और सशक्त बनाते हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की मूल प्रति के तीसरे अध्याय में भारत के नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का वर्णन किया गया है और ये बहुत दिलचस्प है कि तीसरे अध्याय के प्रारंभ में संविधान निर्माताओं ने भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के चित्रों को स्थान दिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रभु राम का शासन हमारे संविधान निर्माताओं के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत था और इसलिए 22 जनवरी को अयोध्या में मैंने ‘देव से देश’ की बात और ‘राम से राष्ट्र’ की बात की थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर ने देश के करोड़ों लोगों को मानो एक सूत्र में बांध दिया है। सबकी भावना एक, सबकी भक्ति एक, सबकी बातों में राम, सबके हृदय में राम’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि 22 जनवरी की शाम को पूरे देश ने ‘रामज्योति’ जलाई और दिवाली मनाई तथा इस दौरान देश ने सामूहिकता की शक्ति देखी, जो विकसित भारत के संकल्पों का भी बहुत बड़ा आधार है।
उन्होंने मकर संक्रांति से 22 जनवरी तक स्वच्छता का अभियान चलाए जाने के अपने आह्वान का भी उल्लेख किया और कहा कि उन्हें अच्छा लगा कि लाखों लोगों ने श्रद्धाभाव से जुड़कर अपने अपने क्षेत्र के धार्मिक स्थलों की साफ़-सफाई की।
उन्होंने कहा, ‘‘यह काम रुकना नहीं चाहिए।’’