मधुमिता हत्याकांड में जेल से बाहर आ चुके अमरमणि त्रिपाठी की मुश्किलें फिर बढ़ती दिख रही हैं। अपहरण के एक मामले में उनके खिलाफ शिकंजा कस रहा है। 22 साल से पेश नहीं होने के कारण अदलात ने सख्ती दिखाई है। गोरखपुर के सीएमओ को मेडिकल बोर्ड का गठन कर जांच कराने और रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट के निर्देश के बाद रविवार की शाम मेडिकल बोर्ड का गठन भी कर दिया गया है।
अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को शुक्रवार को ही मधुमिता हत्याकांड में 18 साल बाद जेल से रिहाई मिली थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दोनों की उम्र और जेल में व्यवहार को देखते हुए समय से पहले रिहाई का आदेश दिया था। दोनों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा सुनाए जाने के बाद से दोनो पति-पत्नी अस्पताल में ही भर्ती हैं।

अब बस्ती में दर्ज अपहरण के मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ रही है। 2001 में दर्ज अपहरण के मामले में अमरमणि त्रिपाठी लगातार गैरहाजिर रहे हैं। इसी को लेकर बस्ती में एमपी/एमएलए और सत्र न्यायाधीश प्रमोद गिरि की अदालत ने 14 अगस्त को पूछा था कि अमरमणि त्रिपाठी अदालत के सामने पेश होने में असमर्थ क्यों हैं। इस पर उनके वकील ने बीमारी का हवाला दिया था। इसके बाद अदालत ने गोरखपुर सीएमओ को अमरमणि त्रिपाठी की लगातार अनुपस्थिति का कारण स्पष्ट करते हुए उनकी मेडिकल रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।

अदालत के निर्देश के दो सप्ताह बाद मेडिकल बोर्ड का गठन हुआ है। बस्ती कोतवाली के एसएचओ विनय पाठक ने शुक्रवार 25 अगस्त को गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय को अदालत के आदेश की एक प्रति दी थी। एसएचओ ने बताया कि 2001 में बस्ती निवासी धर्म राज गुप्ता के अपहृत बेटे को त्रिपाठी के लखनऊ स्थित सरकारी आवास से बरामद किया गया था।

हिन्दुस्तान टाइम्स के रिपोर्ट के अनुसार, गोरखपुर सीएमओ ने बातचीत में पुष्ट किया कि अदालत के आदेश की एक प्रति उनके कार्यालय में प्राप्त हो गई है। कहा कि मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा और अमरमणि त्रिपाठी को अपनी मेडिकल जांच के लिए उसके सामने पेश होने के लिए कहा जाएगा। दुबे ने कहा कि अगर बीआरडी मेडिकल कॉलेज अमरमणि को छुट्टी नहीं देता है तो मेडिकल बोर्ड अगला कदम तय करेगा।

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