उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक बार फिर कानून व्यवस्था को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने कानून व्यवस्था की समीक्षा, कार्यो का मूल्यांकन और अनुश्रवण की पूरी जिम्मेदारी जिलाधिकारियों को सौंप दी है। इसके तहत पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था की समीक्षा करेंगे और सीएम डैशबोर्ड पर उपलब्ध सूचना के आधार पर रैंकिंग की जाएगी। यह व्यवस्था सिर्फ उन्हीं जिलों में लागू होगी जहां पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू नहीं है। इसके लिए निर्देश जारी किए गए है।

बता दें कि प्रदेश सरकार ने जिलों में विकास और कानून व्यवस्था की समीक्षा अलग-अलग करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए है। सरकार ने कानून व्यवस्था की समीक्षा की पुरानी व्यवस्था को बहाल कर दिया है। शासन के आदेश के मुताबिक, जिन जिलों में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू नहीं है, उन जिलों में कानून व्यवस्था की समीक्षा की जिम्मेदारी जिलाधिकारियों को सौंपी गई है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में पुलिस लाइन में समीक्षा की जाएगी। यह समीक्षा राज्य के 68 जिलों में की जाएगी।

यूपी के 68 जिले ऐसे है जहां कानून व्यवस्था की समीक्षा की पुरानी व्यवस्था ही चल रही है। लेकिन 7 जिले लखनऊ, कानपुर, नोएडा, वाराणसी, प्रयागराज, आगरा एवं गाजियाबाद है, जहां पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू है। इन सात जिलों में यह व्यवस्था लागू नहीं होगी। कार्यक्रम कार्यान्वयन विभाग ने मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की ओर से प्रदेश की कानून व्यवस्था एवं विकास कार्यों के मूल्यांकन, निगरानी एवं समीक्षा को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आदेश में कहा गया है कि जिन जिलों में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू नहीं है, वहां कानून व्यवस्था की समीक्षा के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बैठक पुलिस लाइन में की जाएगी। यह समीक्षा बैठक प्रदेश स्तर पर गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव एवं पुलिस महानिदेशक द्वारा हर महीने की जाएगी।

राज्य सरकार प्रदेश के विभिन्न विभागों द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं, योजनाओं एवं परियोजनाओं को सीएम-डैशबोर्ड से जोड़ रही है। इसके तहत विभिन्न विभागों द्वारा नागरिकों को उपलब्ध कराई जा रही सेवाओं व विभागों की योजनाओं को लेकर रैंकिंग एवं ग्रेडिंग की जाएगी। शासन एवं निदेशालय स्तर पर सभी प्रोजेक्ट की प्रगति देखने के बाद रैंकिंग होगी। कानून व्यवस्था की समीक्षा को भी इससे जोड़ा गया है। सीएम-डैशबोर्ड पर उपलब्ध सूचना के आधार पर रैंकिंग की जाएगी। जो अधिकारी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे और खराब प्रदर्शन करेंगे, उन पर कार्रवाई की जाएगी।

 

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