मठाधीशों को लेकर अखिलेश यादव के विवादित बयान को लेकर संत जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि अखिलेश को मर्यादा में रहकर राजनीति करनी चाहिए और धर्म के क्षेत्र में अपमानजनक टिप्पणियों से बचना चाहिए।
दरअसल, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मठाधीशों और माफियाओं के बीच ज्यादा अंतर नहीं होने का विवादित बयान दिया। इसको लेकर संत समाज के कई सदस्यों ने उन पर हमला किया।
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत बालक दास अखिलेश के विवादित बयान पर कहा, “अखिलेश यादव को माफियाओं के बारे में ज्यादा अनुभव है। मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे लोग उनके मठाधीश थे। हम बस यही कहना चाहते हैं कि विनाश काले विपरीत बुद्धी। जब उन्होंने 2015 में संतों के ऊपर लाठियां भांजी थी, उस समय उनकी पार्टी पत्तों की तरह बिखर गई थी। उन्होंने दोबारा गलत टिप्पणी की है, ऐसे में इनका अब दोबारा विनाश होने वाला है।”
उन्होंने कहा, “अखिलेश यादव, संतों से बैर करके स्वयं को नष्ट करने में जुटे हुए हैं। ये देश को बर्बाद करने वाले लोग हैं। किसी धर्म विशेष के कट्टरपंथी लोगों में इनको महापुरुष दिखाई देता है। लेकिन संत और सनातियों को ये अपराधी मानते हैं। भगवा को आतंकवादी बोलते हैं। महंत ने कहा, इंडी गठबंधन में शामिल लोगों ने जितना भारत को नुकसान पहुंचाया है, उतना बाहर के देशों ने नहीं पहुंचाया होगा। ये सिर्फ वोट की राजनीति करते हैं।”
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने अखिलेश यादव के बयान पर कहा, “राजनीति का ये गंदा चेहरा उत्तर प्रदेश को देखना बाकी रह गया था। पक्ष-विपक्ष की राजनीति का स्तर इतना ज्यादा नहीं गिर जाए कि साधु-संत और मठाधीश की बातें होने लगे। अखिलेश को अगर व्यक्तिगत आलोचना करनी है, तो सीएम योगी, पीएम मोदी और भाजपा की करें। लेकिन अगर ये सनातन को लेकर कुछ बुरा कहते हैं, तो धर्मावलंबी ईंट से ईंट बजाना जानते हैं।”