उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बसपा सुप्रीमो मायावती ने ·अन्तर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस’ की प्रदेश वासियों और देशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर कहा कि आज के आधुनिक युग में जब सरकारी स्तर पर भी व्यवसायीकरण अपने चरम पर है और श्रम, श्रमिकों व मजदूरों के महत्व को अत्यन्त कम करके आंके जाने की परम्परा है, किन्तु उस वर्ग का हर स्तर पर शोषण जारी रहने के कारण ’मज़दूर दिवस’ का उद्देश्य व भूमिका हमेशा की तरह आज भी प्रासंगिक व आवश्यक।
श्रमिक वर्गों के प्रति अपना संवैधानिक दायित्व निभाएं सरकार
उन्होंने कहा कि अतः देश के करोड़ों मज़दूरों व श्रमिक वर्ग में भी ख़ासकर महिला समाज को, ’अन्तर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस’ की बधाई एवं उन्हें अपने मानवीय हक के लिए लगातार संघर्ष करते रहने में सफलता की शुभकामनाएं। सभी सरकारें भी मजदूरों व श्रमिक वर्गों के प्रति अपना संवैधानिक दायित्व जरूर निभाएं।
1 मई 1886 से मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस
आपको बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 से मानी जाती है जब अमेरिका की मजदूर यूनियनों ने काम का समय 8 घंटे से अधिक न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। इस हड़ताल के समय शिकागो की है मार्केट में बम धमाका हुआ था। यह बम किसने फेंका किसी का कोई पता नहीं। इसके निष्कर्ष के तौर पर पुलिस ने श्रमिकों पर गोली चला दी और सात श्रमिक मार दिए। घटनास्थल पर एक टेलीग्राफ खंबा जो गोलियों के साथ हुई छेद से पुर हुआ था, जो सभी की सभी पुलिस की दिशा से आईं थीं। चाहे इन घटनाओं का अमेरिका पर एकदम कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा था परन्तु कुछ समय के बाद अमेरिका में 8 घण्टे काम करने का समय निश्चित कर दिया गया था।
भारत और अन्य देशों में 8 घण्टे काम करने का है नियम
वर्तमान में भारत और अन्य देशों में श्रमिकों के 8 घण्टे काम करने से संबंधित नियम लागू है। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक आंदोलन, अराजकतावादियों, समाजवादियों, तथा साम्यवादियों द्वारा समर्थित यह दिवस ऐतिहासिक तौर पर केल्त बसंत महोत्सव से भी संबंधित है। इस दिवस का चुनाव हेमार्केट घटनाक्रम की स्मृति में, जो कि 4 May 1886 को घटित हुआ था, द्वितीय अंतरराष्ट्रीय के दौरान किया गया।
गौरतलब है कि किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में मज़दूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है। उन की बड़ी संख्या इस की कामयाबी के लिए हाथों, अक्ल-इल्म और तनदेही के साथ जुटी होती है। किसी भी उद्योग में कामयाबी के लिए मालिक, सरमाया, कामगार और सरकार अहम धड़े होते हैं। कामगारों के बिना कोई भी औद्योगिक ढांचा खड़ा नहीं रह सकता।
